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सिविल कानून
ज्ञानवापी पर सर्वेक्षण के लिये मंजूरी मिली
« »04-Aug-2023
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के संबंध में ज़िला न्यायाधीश वाराणसी का आदेश बहाल हो गया है। (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी बनाम राखी सिंह और 8 अन्य) (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) |
चर्चा में क्यों?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी बनाम राखी सिंह और 8 अन्य के मामले में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर, वाराणसी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने की स्वीकृति दी।
पृष्ठभूमि
- वर्तमान आदेश, अंजुमन मस्जिद कमेटी द्वारा वाराणसी न्यायालय के 21 जुलाई, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अनुच्छेद 227 के तहत, जिसमें ज़िला न्यायाधीश ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के निदेशक को पहले सील किये गए क्षेत्र (वुजुखाना) को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का निर्देश दिया था।
- इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वेक्षण के लिये वाराणसी ज़िला न्यायालय द्वारा पारित आदेश को 26 जुलाई, 2023 तक लागू नहीं किया जाना चाहिये।
- उच्चतम न्यायालय ने उपर्युक्त आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्त्ताओं को ज़िला न्यायाधीश, वाराणसी के आदेश को चुनौती देने के लिये भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता दी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
- मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने ज़िला न्यायाधीश वाराणसी के आदेश को बहाल कर दिया है और संबंधित पक्षों को उक्त आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
- न्यायालय ने प्रश्नगत सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाले अपने अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया है।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
- ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब द्वारा प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर (टोडरमल द्वारा निर्मित हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित) को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण वर्ष 1669 में किया गया था।
- यह मामला वर्ष 1991 से विवाद में है, जब काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास सहित तीन लोगों ने वाराणसी के सिविल न्यायाधीश के न्यायालय में मुकदमा दायर किया था और दावा किया था कि औरंगजेब ने इसे ध्वस्त कर दिया था।
- वर्ष 2021 में वाराणसी के इसी न्यायालय में शृंगार-गौरी के मंदिर में पूजा करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी।
- न्यायालय ने इस मामले में नियुक्त आयोग से शृंगार-गौरी की मूर्ति और ज्ञानवापी परिसर की वीडियो ग्राफी कर सर्वे रिपोर्ट देने को कहा था।
- इस बेसमेंट के सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी को लेकर विवाद हो गया है।
- पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 3 के तहत, किसी पूजा स्थल, यहाँ तक कि उसके खंड को एक अलग धार्मिक संप्रदाय या एक ही धार्मिक संप्रदाय के एक अलग वर्ग के पूजा स्थल में परिवर्तित करना निषिद्ध है।
- ज्ञानवापी मस्जिद के मामले से संबंधित कई याचिकाएँ लंबित थीं, सभी को विगत अवसर पर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (वर्ष 1976 का 57वाँ उत्तर प्रदेश अधिनियम) के आदेश 4A के तहत संयुक्त सुनवाई का आदेश दिया गया है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पहले एएसआई को 'शिव लिंग' का वैज्ञानिक सर्वेक्षण (आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके) करने का निर्देश दिया था, जो कथित तौर पर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाया गया था ताकि इसकी आयु का निर्धारण किया जा सके।
भारत का संविधान, 1950
- वर्तमान याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 द्वारा प्रदत्त अधिकार के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की गई थी।
अनुच्छेद 227 - उच्च न्यायालय द्वारा सभी न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति -
(1) प्रत्येक उच्च न्यायालय उन राज्यक्षेत्रों में सर्वत्र, जिनके संबंध में वह अपनी अधिकारिता का प्रयोग करता है, सभी न्यायालयों और अधिकरणों का अधीक्षण करेगा।
(2) पूर्वगामी उपबंध की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उच्च न्यायालय-
(क) ऐसे न्यायालयों से विवरण मंगा सकेगा।
(ख) ऐसे न्यायालयों की पद्धति और कार्यवाहियों के विनियमन के लिये साधारण नियम और प्रारूप का निर्माण कर सकेगा तथा विहित कर सकेगा, और
(ग) किन्हीं ऐसे न्यायालयों के अधिकारियों द्वारा रखी जाने वाली पुस्तकों, प्रविष्टियों और लेखाओं के प्रारूप विहित कर सकेगा।
(3) उच्च न्यायालय उन शुल्कों की सारणियाँ भी बना सकेगा, जो ऐसे न्यायालयों के शैरिफ को तथा सभी लिपिकों और अधिकारियों को एवं उनमें विधि-व्यवसाय करने वाले अटोर्नी, अधिवक्ताओं और प्लीडरों को अनुज्ञेय होंगी।
परंतु खंड (2) या खंड (3) के अधीन बनाए गए कोई नियम, विहित किये गए कोई प्रारूप या स्थिर की गई कोई सारणी तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के उपबंध से असंगत नहीं होगी और इनके लिये राज्यपाल के पूर्व अनुमोदन की अपेक्षा होगी।
(4) इस अनुच्छेद की कोई बात उच्च न्यायालय को सशस्त्र बलों से संबंधित किसी विधि द्वारा या उसके अधीन गठित किसी न्यायालय या अधिकरण पर अधीक्षण की शक्तियाँ देने वाली नहीं समझी जाएगी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- यह एक भारत सरकार की एजेंसी है, जो देश में पुरातात्विक अनुसंधान और सांस्कृतिक ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है।
- इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- एजेंसी का मूल संगठन संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार है।
- एजेंसी के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम थे, जबकि श्री वी. विद्यावती वर्तमान में इस पद पर आसीन हैं।